‘अरे बेटा ज़रा ध्यान तो दो इधर..,मैं कुछ समझा रही हूँ और तुम हो कि… .. “तुम सुनो मम्मा….मुझे कोई advice नही चाहिए‘ – बेटे ने तपाक से कहा (जैसे ही मैंने उसे समझाने की कोशिश की ।वो किसी बात से परेशान था, शायद ख़ुद से ही….)
वो कहता ही जा रहा था – ‘तुम सुनते हो नहीं, बस यही तुम्हारा प्रॉब्लम है मम्मा, मैं सिर्फ़ तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ।’ फिर मेरा चेहरा बनता देख कर रुक गया । (कैसे आजकल मन के भाव पढ़ने की कोशिश करता है …..) । उसने कहा नही, लेकिन मैं समझ रही थी “वो तुलना कर रहा है ख़ुद की दुसरों से, हमारा रोकना टोकना बुरा लगता उसे…चाहता है हम भी वैसे ही cool parents बन जाएँ जैसे उसके दोस्तों के हैं। कभी पढ़ाई तो कभी स्मार्ट्नेस तो कभी महँगे मोबाइल या फिर नए मॉडल की बाइक उसकी परेशानी के कारण होते”
“अब क्या हुआ…बोलो ना मम्मा” (अभी तो उसे मेरे बोलने से प्रॉब्लम थी अब चुप रहने पर है….क्या करूँ मैं? अंत में मैं चुप ही रही, इस समय वो कुछ सुनने की स्थिति में नही था। हालाँकि मैं उस से उसके अभी तक के decisions, उन निर्णयों के असर और आने वाले कल पर बात करना चाहती थी, लेकिन प्रत्यक्ष में चुप रही)
धाड़….. से दरवाज़ा पटक कर चला गया वो (मैं सोचती रही, जब छोटा था तो मम्मा से कितना प्यार करता था । मेरी हर बात उसे अच्छी लगती थी और अब मेरी ग़लतियाँ ढूँढता है। क्यों नहीं समझा पाई मैं उसे?)
जाता कहाँ वापस आया और मेरे काँधे पर सर टिका कर बोला “मम्मा मैं बुरा behave करता हुँ ना? लेकिन मैं आपको वैसे ही प्यार करता हुँ (मानो मेरे मन की बात सून ली थी उसने) लेकिन अब मुझे भी सब समझ आने लगा है ना! हमेशा वैसा ही तुतलाता बच्चा थोड़ी रहूँगा।’ अच्छा अब तुम बताओ तुम्हारा ऑफ़िस कैसा रहा? सब ठीक था या फिर कोई टेन्शन है? (नहीं बात इतनी भी नही बिगड़ी…मैंने राहत की साँस ली ।
एकदम से लगा कि बेटा बड़ा हो रहा है, लेकिन मैंने ही उसकी “बढ़ती समझदारी” पर ध्यान नहीं दिया। ये समय उस से दोस्ती करने का है ना कि आदेश देने का। वो हमसे discussion चाहता है domination नही !!! ध्यान देने की ज़रूरत मेरी थी 🙃🙃
2 replies on “ध्यान दो….मम्मा”
आप सभी को धन्यवाद इस छोटी सी कहानी को पसंद किया आप लोगों ने
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बेहतरीन!
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