घर के मेरे बिल्कुल पास
एक मंदिर है ,
मस्जिद भी है ।
थोड़ी सी दूर पर है
एक चर्च और
उसके काफ़ी पहले है,
एक गुरुद्वारा भी ।
लोग यहाँ है भाई भाई
होते शरीक सब,
सभी मौक़ों पर साथ ।
आयोजनो की कहीं कोई कमी नहीं
भक्ति – शक्ति का प्रवाह,
चलता रहता है
रोशनियों और बुलंद आवाज़ों के साथ ।
सब ख़ुश हैं
एकता में ना कोई कमी हैं,
मेरे घर के आस- पास,
लेकिन…
कुछ रोज़ पहले
हमारे घर के पास से हो गया बिदा,
एक छोटा सा सामुदायिक अस्पताल ।
जो करता था आम जन के
आम से मर्ज़ का इलाज ।
ना कोई आवाज़ आई,
ना ही विरोध हुआ
ना ही उस अस्पताल को जोड़े रखने
एक साथ जुटे लोग
वास्तव में ग़रीबों की किसको पड़ी है
सच है कि आस्था ने
दुनिया रमी है…..
शुभा झा बैनर्जी
3 replies on “एकता ???”
बहुत सटीक और सत्य कहा।
आस्था इंसानियत पर भारी हो गया।
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जी…धन्यवाद
आस्था के लिए बहुत कुछ करने तैयार हम…जरूरतमंद के लिए क्या करते हैं..।
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आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद मेरी कृतियाँ पसंद आइँ 🙏🏻
चलिए जुड़े रहते हैं इस तरह
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